Sunday, July 4, 2021

हर वक्त बिना वजह तुलना करना जीवन को बेस्वाद बनाती है

 सब लोगो ने पिछले कुछ महीनों में कोरोना वायरस के संक्रमण को जिस तरह से महसूस किया है , लगभग सभी लोगों ने ही इसके दुष्प्रभावों को अपने जीवन में देखा है और अपने परिवार को एक डर के साए में भी जीते हुए देखा है।
किसी ने सही कहा है कि हम सब लोग एक ही प्रकार के तूफान में हैं, लेकिन हम सब की इस तूफान को पार करने की नाव अलग - अलग है। इंसान के अंदर दूसरे के साथ तुलना करने की एक स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है और किसी भी प्रकार की परस्थितियों में वह अपनी तुलना दूसरे से किसी ना किसी रूप से करता ही रहता है, जैसे कभी - कभी एक ही माता-पिता के दो बच्चे भी बचपन से बड़े होते हुए अपने  माता-पिता के द्वारा उनको दिए जाने वाले लालन-पालन की भी तुलना कर लेते हैं।अगर हम अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए और इससे कुछ प्रेरणा पाने के लिए कर रहे हैं तो यह बहुत अच्छी बात है , लेकिन अगर हम केवल खुद के प्रयासों को दूसरों से ज्यादा साबित करने के लिए या दूसरे को केवल जिंदगी में भाग्यशाली बताने के लिए तुलना के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं , तो मेरे हिसाब से यह नकारात्मक हो जाता है । 
लोग आपस में तुलना करने लगे हैं की मुझे और लोगों के मुकाबले ज्यादा आर्थिक नुकसान हुआ है या कम या फिर की मुझे मेरे वेतन में दूसरों के मुकाबले ज्यादा नुकसान सहन करना पड़ा है या कम । 
यदि हम इसी प्रकार की बेवजह तुलना करते हैं, तो मेरा तो यही कहना है की यह आत्मा , दिल , मन , सब आपका है और अगर आप इसे दुखी रखते हैं और इस दुख के कारण आप इसका सही प्रकार से उपयोग नहीं करते हैं , तो इससे प्रभावित होकर आपकी ही उत्पादकता में कमी आती है और आपकी इस नकारात्मक सोच के कारण अनेक लोग आपको 'निराशावादी' होने का मेडल पहना देते हैं। जब हम लोग एक दूसरे के साथ आर्थिक या सामाजिक रूप से होने वाले व्यक्तिगत नुकसान का आंकलन कर रहे होते हैं, तो हम यह भूल जाते हैं की कई परिवार ऐसे भी हैं जिन्होंने कोरोना वायरस के कारण अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है या उनके परिवार में इस संक्रमण के कारण अनेक प्रकार की दिककते आई हैं। अनेक मजदूरों ने अपनी रोजी-रोटी खो दी हैं और बहुत सारे दिनों की मेहनत के बाद भी किसी तरह अपने गांव तक पहुंच पाए हैं। अगर हम ढूंढेंगे , तो हमे ऐसे ज्यादा लोग मिलेंगे , जिनको हमारे मुकाबले में कोरोना वायरस ने ज्यादा सताया है। 
यदि इसी प्रकार हम अपने पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर दूसरे लोगों के संबंध में राय बनाना शुरू कर देंगे , तो हमे पता ही नही लग पाएगा कि दूसरों में किस प्रकार के बेहतर कौशल उपलब्ध हैं , जिनसे हम भी सीख सकते हैं। इसीलिए कई बार अकारण की गई तुलना हमें फ़ायदा देने की बजाय नुकसान दे कर जाती है ।

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