Sunday, October 31, 2021

पॉडकास्ट क्या है?


आज की इंटरनेट की दुनिया में हम सब रोज़ाना यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो देखते ही हैं। लेकिन कुछ camera shy लोग भी होते हैं जो कैमरा फेस नहीं करना चाहते हैं जिससे उनका हुनर लोगों तक नहीं पहुंच पाता है। 

पॉडकास्ट कुछ ऐसे ही लोगों के लिए एक उभरता हुआ प्लेटफॉर्म है जो कैमरा के पीछे रहकर अपने हुनर से लोगों तक इंटरनेट के माध्यम से अपनी आवाज़ का जादू बिखेर सकते हैं। क्युकी यह प्लेटफॉर्म ऑडियो रिकॉर्डिंग की सुविधा देता है। 

पॉडकास्ट क्या है?
पॉडकास्ट इंटरनेट पर मौजूद एक रेडियो शो की तरह है जहां ऑडियो एपिसोड्स या प्रोग्राम की एक सिरीज़ होती है जिसमे आप किसी भी विषय के ऊपर बात, चर्चा या जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पॉडकास्टिंग और पॉडकास्टर क्या होता है? 
आज कल इंटरनेट पर voice search का ऑप्शन अधिकतर लोग इस्तेमाल करने लगे हैं। पॉडकास्टिंग भी ऐसे ही कुछ काम करता है, जिसमें सिर्फ आपकी आवाज़ सेव होती है,जिसे हम लोगों को शेयर कर सकते हैं। जब हमारे द्वारा अपलोड किये गए पॉडकास्ट को कोई सुनता है तो इस प्रक्रिया को podcasting कहा जाता है। 
और जो व्यक्ति इस प्रकार के पॉडकास्ट  या audio file को तैयार करता है उसे पॉडकास्टर (podcaster) कहा जाता है।

पॉडकास्ट कितने प्रकार की होती है?
1) Interview podcast 
2) Storytelling podcast
3) Your own podcast

पॉडकास्ट कौन बना सकता है?
पॉडकास्ट कोई भी किसी भी फील्ड में बना सकते हैं जिसमें आपको अच्छी जानकारी है, जैसे टेक्नोलॉजी, एजुकेशन, बिजनेस, न्यूज, स्पोर्ट्स, मोटिवेशन या अगर आप एक अच्छे लेखक हैं तो अपनी कहानियां, कविताएं, कोट्स या शायरी को पॉडकास्ट के माध्यम से लोगों तक अपनी आवाज़ पहुंचा सकते हैं। 

क्या पॉडकास्ट से पैसे कमाएं जा सकते हैं? 
हां, आप पॉडकास्ट से पैसे कमा सकते हैं, पर यह एक ही दिन में नहीं हो सकता की आप पहले दिन ही पैसा कमाने लगे। पॉडकास्ट में आप जैसे-जैसे अच्छे values प्रोवाइड करेगें, जैसे लोग आपसे जुड़ते जाएंगे, आपके पॉडकास्ट को सुनने वालों की संख्या बढ़ेगी, वैसे-वैसे ही आपको पॉडकास्ट से पैसा कमाने के बहुत सारे तरीके पता चलने लगेंगे।
ads, affiliate marketing और sponsorship के माध्यम से आप अच्छा खासा पैसा कमा सकते हैं। या फिर आपके पॉडकास्ट से यूजर का इंटरेक्शन कितनी देर का होता है , जैसे यूजर कम समय तक आपके पॉडकास्ट को सुनता है या ज्यादा देर तक , उस पर भी आपके पैसे निर्भर करेगें। 

पॉडकास्ट कैसे बनाएं? 
अगर आप लैपटॉप या कंप्यूटर से बनाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको ऑनलाइन पॉडकास्टिंग साइट्स पर sign up करना होगा, जैसे
Anchor
Podbeam.com
Sound Cloud 
Spotify
Google podcast, etc
जिसके बाद आप अपना पॉडकास्ट स्टार्ट कर सकते हैं। 

अगर आप मोबाइल से बनाना चाहते हैं तो Anchor FM app आपके बहुत काम आ सकता है।

और अगर आपकी कोई वर्डप्रेस वेबसाइट है तो उसमे Seriously Simple Podcasting वर्डप्रेस plug-in का इस्तेमाल करके अपनी वेबसाइट में पॉडकास्ट स्टार्ट कर सकते हैं। 

पॉडकास्ट के फायदे ? 
वीडियो देखते वक्त हमें अपने सारे कामों को रोकना पड़ता है, और वही कोई जानकारी पाने के लिए अगर हम पॉडकास्ट का इस्तेमाल करते हैं तो हमें सुनने के साथ-साथ अपना काम भी कर सकते हैं।क्योंकि दिन पर दिन लोगों के पास हो रही वक्त की कमी की वजह से पॉडकास्ट पर उन्हें लंबे आर्टिकल लिख या पढ़ने से ज्यादा सुनने में आसानी हो रही है।

Wednesday, October 20, 2021

ओटीटी प्लेटफॉर्म


अगर आज हम कहते हैं की मानव जाति प्रगति कर रही है तो इसके पीछे की वजह तकनीकी खोज है, जो दिन-ब-दिन हम सबको सहूलियत की चीज़े प्रोवाइड कर रहा है। इसी क्रम में कोरोना महामारी की वजह से लगे लॉकडॉन में जहां सारी चीज़े मिलनी बंद हो गई थी और हम अपने घरों में मनोरंजन के साधन ढूंढने की कोशिश कर रहे थे , तभी 'ओटीटी प्लेटफॉर्म' नाम का एक नया नाम ज्यादा तेज़ी से उभरा। 

ओटीटी प्लेटफॉर्म यानी ओवर द टॉप है जो इंटरनेट के माध्यम से वीडियो या अन्य डिजिटल मीडिया संबंधी कंटेंट को प्रोवाइड करता है। 

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर हम वेब सीरीज, डॉक्यूमेंट्री, मूवीज इत्यादि देख सकते हैं। क्युकी इस प्लेटफॉर्म पर वीडियो और ऑडियो दोनो ही तरीके की स्ट्रीमिंग होती है। 

आज के समय में देशभर में ही नही बल्कि पूरी दुनिया में एक बड़ा समूह इस पर आश्रित है। 
इस तकनीक के माध्यम से लोगों को काफी सुविधा हो गई है। क्युकी लोग जब चाहे तब अपने पसंद के कंटेंट को देख सकते हैं। और इस प्लेटफॉर्म की सबसे अच्छी बात यह है की लोगों को इंतजार नहीं करना पड़ता है वह जब चाहे तब अपने पसंदीदा कंटेंट को देख सकते हैं। 

लॉकडाउन में जहां देशभर में थिएटर बंद रहे, तभी ओटीटी प्लेटफॉर्म लोगों के मनोरंजन के लिहाज़ से एक अच्छे ऑप्शन के रूप में उभरा। और भारत में कई सारी बॉलीवुड मूवीज भी रिलीज हुई। जिसने लोगों के मनोरंजन को बरकरार रखने में काफी मदद की। 

भारत में कुछ मशहूर ओटीटी प्लेटफॉर्म हैं -  नेटफ्लिक्स, एमेजॉक प्राइम वीडियो, एमएक्स प्लेयर, वूट, जी5, इत्यादि।

Monday, August 2, 2021

भारतीय राज्यों में राखी मनाने की अलग अलग परंपराएं एवं तौर तरीके


Raksha Bandhan 2021:भारतीय राज्यों में राखी मनाने की अलग अलग परंपराएं एवं तौर तरीके 
उत्तर भारत में : श्रवण पूर्णिमा
उत्तर भारत में राखी का पर्व काफी उत्साह पूर्वक मनाया जाता है खासकर उत्तर प्रदेश,बिहार,मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जहां बहने अपने भाइयों को टीका लगाने के बाद राखी बांधती है , जिसके बदले उनके भाई उन्हे कुछ उपहार भेंट करते हैं। वहीं जम्मू कश्मीर में लोग इस दिन पतंग उड़ाके इस पर्व को  मनाते हैं , तो हरियाणा में इस पर्व को एक विशेष नाम दिया गया है "सालोनो" । यहां इस पर्व की शुरूवात मंदिर में जाके होती है जहा मंदिर का पुजारी भाई की कलाई में पवित्र धागे को उसकी रक्षा के लिए बांधता है। और फिर बाद में बहने अपने भाईयो को राखी बांधती है ।
पश्चिमी भारत में : नारियल पूर्णिमा
गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा जैसे क्षेत्रों में यह पर्व काफी महत्वपूर्ण माना जाता है खासकर के मछुवारों के लिए क्युकी जब मॉनसून पीछे होने लगता है(retreat monsoon) तब समुद्र की लहरे शांत होने लगती है , जिसके वजह से यह उनके लिए नए फिशिंग सीजन के रूप में शुरू होता है , जिसके प्रारूप मछुवारे समुद्र में नारियल को डाल के भगवान वरुण( hindu rain god)  को समर्पित करते हैं। 
गुजरात : पावित्रोपणा
 गुजरात में इस दिन लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता है की जो इस दिन भगवान शिव की पूजा करता है उसके सारे पाप मिट जाते हैं।पावित्रोपण पवित्रास से मिले बना है जिसने कपास के रेशों को कास (एक प्रकार की घास) से जोड़ने के पश्चात इसे पंचगव्या (गाय का घी, दूध, दही, गोबर, गोमूत्र) में मिलाया जाता है और फिर इस धागे को शिवलिंग के चारो ओर बांधा जाता है।
पूर्वी भारत: झूलन पूर्णिमा
असम और त्रिपुरा में इसे काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है क्योंकि इन राज्यों में रहने वाले हिंदुओ की संख्या अच्छी खासी है।पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है ,जिसे झूलन यात्रा के नाम से भी जानते हैं। यह पर्व वैष्णव धर्म को मानने वालो के लिए बहुत ही विशेष माना जाता है।
दक्षिण भारत: अवनी अवित्तम
दक्षिण भारत में इस पर्व पे ब्राह्मण अपने पवित्र धागे(जनेऊ) को स्नान करने  के पश्चात बदलते हैं। माना जाता है की इस प्रथा से एक प्रकार का प्रायश्चित करते हैं, और एक अच्छी , गरिमामयी जीवन जीने की संकल्पना लेते हैं। और ये ब्रह्मांड इस दिन यजुर वेद (yajur veda) ka अध्यन करते हैं।
भारत के अलग अलग प्रदेश में राखी का त्योहार अलग अलग ढंग से मनाया जाता है ।  जम्मू कश्मीर में लोग  इस दिन पतंग उड़ाके मनाते हैं ।  हरियाणा में इस पर्व को एक विशेष नाम दिया गया है "सालोनो" । यहां इस पर्व की शुरूवात मंदिर में जाके होती है जहा मंदिर का पुजारी भाई की कलाई में पवित्र धागे को उसकी रक्षा के लिए बांधता है। और फिर बाद में बहने अपने भाईयो को राखी बांधती है ।
भारत में यह धर्म संस्कृति के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है । यह भ्रात्रभावना और सहयोग के उद्देश से भारत में हिंदू और जैन धर्म के लोग खासकर के मनाते हैं। इसमें बहने अपने भाइयों को राखी बांधती हैं और उनकी दीर्घायु और प्रशंता की प्रार्थना करती हैं, और भाई उनकी रक्षा करने का वचन देता है। 
इस वर्ष राखी का त्योहार २२ अगस्त दिन रविवार को मनाया जाएगा । राखी बांधने का शुभ मुहूर्त २२ अगस्त की सुबह 05 बजकर 05 मिनट से शाम 06 बजकर 03 मिनट तक है। कई वर्षो के बाद ऐसा संयोग आया है की इस दिन भद्रा नक्षत्र नही है , क्युकी ऐसा माना जाता है की रावण को उसकी बहन ने भद्रा नक्षत्र में ही राखी बांधी थी जिससे उसका अनुचित हुआ।
इस वर्ष पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन पर सुबह 06:15 बजे से लेकर 10:34  बजे तक शुभ योग रहेगा। वही शाम  07:40 मिनट तक घनिस्था योग रहेगा। इसमें राखी बांधना सबसे श्रेष्ठ माना गया है । 
 

Sunday, July 18, 2021

Heroes of the Frontline - The Doctors

CORONA WARRIORS



  • Who are Corona Warriors?
According to Government of India, Corona Warriors are all public healthcare providers including community health workers who may have to be in direct contact and take care of the Covid-19 patients and who may be at risk of being impacted.


A Small Talk With The Doctor At SGPGI


  • What's your name and designation?
Myself Dr Neelam Mishra, working as a Physiotherapist in SGPGIMS.


  • How as a Physiotherapist you help people in recovering if they're tested Corona Positive ?
As a physiotherapist, we help the patients according to their situations. We do their assessment and then accordingly we give the treatment like the patient recovering from Corona may have the symptoms of breathlessness, fatigue or the inability to continue his/her daily activities, muscle and joint pains, etc.. So, accordingly we recommend them to do the things like exercises for  retaining back their physical  actions and activities, while sometimes they may need different kind of therapy for their recovery.


  • What's the difference in both the waves and how can we protect ourselves from it?
In the last wave it was much easy to manage as the number of cases were less in number as well as the rate of infection in lungs, if say, in the First Wave was about 50% then in the Second Wave it increased to about 95% , which reduced the breathing capacity and demanded for Supplemental Oxygen but due to shortage of Oxygen Cylinders many people lose their lives.
We can protect ourselves by taking care of our balanced diet so to make our immunity strong, wear masks, use hand sanitiser time to time, avoid social gathering, etc to protect yourself. 


  • How to recognise Asymptomatic COVID-19 patients?
 Its very difficult to recognise such patients because asymptomatic patients are those who  have been infected by the virus, but does not feel sick or develop any symptoms, so its really very challenging. In this case the only suggestion is to follow the Covid-19 guidelines and the protocols to keep yourself safe.


  • To what kind of people does the Black and White fungus attacks?
 Person with very low immunity or having any previous medical history like diabetes are very prone to these fungal attacks.


  • What kind of problems due you face while doing duty after wearing PPE Kits?
Wearing a kit in itself is a very tough task, firstly it takes at least half an hour to wear it and then work long for 6 hours continuously with no food, water, or going toilet. But as it is our work and duty we love to serve our patients in the best possible ways.


  • How much it is important to take the vaccination? Are you vaccinated?
It is very-very important to get vaccinated because vaccination helps us to develop antibodies which helps in fighting against the virus. The data also says that the person who were vaccinated were at low risk of the corona attack while the person without vaccination were at high risk and developed so many complications as well.
 Yes, I got vaccinated and would suggest everyone to get the vaccination doses as soon as possible and play the role of your part as a responsible citizen.


  •  Any message you would like to give to our citizens?
The only message is to please follow the Covid-19 guidelines and protocols as per the government orders, take care of your health  and prevent the spread of Third Wave because "to the world you may be One Person but to the one person you may be the World".


 

 Information Credit :

Dr Neelam Mishra

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Image Credit :

Dr Neelam Mishra

Mahima

Google










Wednesday, July 7, 2021

कोरोना और आतंकवाद


डर या भय की पद्धति को ही आतंकवाद कहा जाता है, जो कि हमारे देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक विकराल समस्या बन चुकी है। आतंकवादी अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लोगों की निर्मम हत्या करके देश को अस्थिर करना चाहते हैं। इनकी न तो कोई जाति होती और न ही कोई देश व धर्म होता है। कानूनी व्यवस्था को ताक पर रखकर देश में अराजकता फैलाना इनका मुख्य उद्देश्य होता है। यह पूरे विश्व में मानव जाति के लिए एक बहुत बड़ा गंभीर खतरा बन चुका है।

साथ ही साथ मानव सभ्यता की विस्तार नीति भी लगातार जारी है। बाजार और व्यापार की इस नीति ने एक कदम आगे की राह पकड़ हथियारों की सैन्य ताकतों के साथ-साथ नवीनतम रूप जैविक हथियार के रूप में बढ़ा  दिया है। जिसने दुनिया में जैविक आतंकवाद के द्वार खोल दिए हैं।

जैविक आतंक मानव निर्मित सर्वाधिक प्राचीन होने के साथ विनाशकारी हथियारों में से है। यह ऐसा हथियार है जिनके द्वारा कम खर्च में युद्ध की बड़ी से बड़ी सेना को भी नष्ट किया जा सकता था। यह विनाशकारी हथियार विषाणु, कीटाणु, वायरस या फफूंद जैसे संक्रमणकारी तत्वों से निर्मित किए जाते हैं। जो सदियों से युद्ध का कूटनीतिक हिस्सा रहे हैं।

युद्ध में विरोधी सेना को बीमार करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता रहा है। मानव की विस्तारवादी नीति इन महामारियों का कारण बनती रही है।

ईसा पूर्व छठवीं शताब्दी में मेसोपोटामिया के अस्सूर साम्राज्य के लोगों ने अपने शत्रुओं को मारने के लिए उनके पानी के कुओं में जहरीला कवक डलवा दिया। जिससे सैंकड़ो लोग मारे गए। संभवतः यह इतिहास के प्राचीनतम उदाहरणों में से एक है, जब जैविक हथियार का प्रयोग किया गया था।

हाल ही में यूएन की एजेंसी ने "स्टॉप द वायरस डिसइंफॉर्मेशन" शीर्षक एक रिपोर्ट जारी की है। जिसमें बताया गया है कि आतंकवादी और अपराधी तत्व कोविड-19 महामारी का फायदा कैसे अपना जाल फैलाने के लिए कर रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र अंतरक्षेत्रीय अपराध और न्याय शोध संस्थान (यूएनआईसीआरआई) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसका नाम "वायरस को लेकर गलत जानकारियों को रोकना: कोविड-19 महामारी के दौरान आतंकवादियों, हिंसक चरमपंथियों और आपराधिक समूहों द्वारा सोशल मीडिया का दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल है।" यह रिपोर्ट बताती है कि आतंकवादी और चरमपंथी समूह सोशल मीडिया पर ऐसी साजिशी कहानियां भी फैला रहे हैं जिनमें वायरस को हथियार बनाया जा रहा है और सरकारों में भरोसे को कमजोर किया जा रहा है।

अल कायदा और आईएसआईएस से जुड़े समूह कोविड-19 महामारी का फायदा उठा रहे हैं और मनगढ़ंत कहानियां फैला रहे हैं कि "ईश्वर को नहीं मानने वाले" को वायरस सजा दे रहा है और यह "पश्चिम पर टूटा खुदा का कहर है." रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकियों को इसको जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उकसाया जा रहा है।

रिपोर्ट में यूएनआईसीआरआई की निदेशक एंटोनिया मैरी डि मेयो लिखती हैं, "यह देखना चिंताजनक है कि कुछ आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी गुटों ने सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करने का प्रयास किया है ताकि संभावित आतंकवादियों को, कोविड-19 का संक्रमण फैलाने के लिये उकसाया जा सके और इसे एक कामचलाऊ जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके।"

मौजूदा इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले शोधकर्ताओं ने यह पाया है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंकवाद भड़काने, कट्टरपंथी बनने वाले आतंकवादियों को हमले करने के लिए प्रोत्साहित करने में किया जा सकता है। रिपोर्ट में ऐसे मामलों का जिक्र किया गया है जिनमें दक्षिणपंथी चरमपंथी गुटों ने खुले तौर पर अपने समर्थकों से स्थानीय अल्पसंख्यकों खासतौर पर अल्पसंख्यक समूहों को वायरस से संक्रमित करने के लिए कहा है।

लॉकडॉन के दौरान और बाद की जीवनशैली में बदलाव

हर व्यक्ति किसी ना किसी असुरक्षा की भावना से ग्रसित होता है जिसको दूर करना बहुत ही जरूरी है । किसी प्रसिद्ध चिंतक ने कहा था की "मेरी मां ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था - मैं और भय । " विज्ञान ने भी इस बात को साबित किया है कि इंसान के मस्तिष्क में एक इस प्रकार का बटन होता है जिसको दबाने पर वह अपने व्यवहार में मनचाहा बदलाव ला सकता है और आस पास के वातावरण को अपने व्यवहार के माध्यम से बदलकर इनका अच्छे से इस्तेमाल कर सकता है लेकिन इसके बावजूद इस लॉकडाउन के दौरान हम अंदर से अकेला महसूस कर रहे थे यह कोई अनोखी बात नही है।
जब लॉकडाउन की शुरुआत हुई तो धीरे - धीरे लोग इसके लिए तैयार होने लगे । मार्च,  के आखरी सप्ताह में, फिर अप्रैल, 2020 के मध्य में दूसरे लॉकडॉउन , फिर तीसरे लॉकडाउन मई, 2020 के प्रथम सप्ताह में और फिर ऐसे ही लॉकडाउन आता गया। इस पूरे लॉकडाउन में मुझे लगा कि जैसे कोरोना के नेगेटिव इफेक्ट के साथ बहुत सारी चीज़ें पॉजिटिव होने लगी हैं। मुझे लगा कि अब हम लोग यह समझ रहे हैं की प्रकृति हमे यह जता रही है की संभलो, इतना फास्ट मत चलो, शायद हमें वह रिश्तों की वैल्यू समझाना चाहती है, क्युकी इन दिनों दो बाते तो बिल्कल साफ हो गई की " आप किन लोगों के साथ और किन लोगों के बिना नहीं रह सकते ।" मुझे लगा कि लोग शायद अब धीरे-धीरे जब घरों में रहेंगे तो थोड़ा सा मनन करेंगे, थोड़ा अपने आप को ठंडे दिमाग से एक सेल्फ-रियलाइजेशन में जाकर चीजों को पढ़ेंगे और खुद की कमियां ढूंढेंगे और सुधार करेंगे और जब लॉकडाउन के बाद फिर से उस सामान्य दुनिया की तरफ लौटेंगे तो शायद हम में बहुत सारे कुछ अच्छे बदलाव होंगे। 
लेकिन पता नहीं कुछ दिनों में ही कुछ ऐसे नज़ारे देखने को मिले हैं की यह लगा की शायद वो सिर्फ एक फील-गुड फैक्टर था और असल मे ऐसा कुछ नहीं होने वाला है और फिर वैसे ही दिन आ जाएंगे। हम फिर वैसे ही स्वभाव के हो जाएंगे और वही पुरानी चीज़े शुरू हो जाएंगी, जिनसे हम लॉकडाउन में गए थे। एक बहुत आम उधारण ही अगर देखें की चौराहे पर जो लाइटें बहुत दिनों से बंद थी, हम सीधे निकल जा रहे थे , अब वापस उन लाइट्स पर फिर से लाल-हरी-पीली बत्ती हो गई है और लोग फिर उसी तरह से उन रूल्स को तोड़ रहे हैं और हम वापस अपने उसी रूप में आने लगे हैं। शुरुआती महीनों में लॉकडाउन के दौरान अनुशासन को देखते हुए लगा था की शायद हम बहुत कुछ सीखने वाले हैं, और इसी संयम के आधार पर हमारी जीत की मजबूत नींव पड़ने वाली है। लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए लगता है हम किसी भी सूरत में अनुशासन मानने वाले नही है , चाहे वह रेड लाइट हो, चाहे वो सोशल डिस्टेंसिंग हो चाहे वह मास्क ही क्यों ना हो जिसे लोग तभी लगाते हैं जब तक ट्रैफिक पुलिस उन्हें ना देखें। लोगों की अनावश्यक भागम भाग देखकर मुझे लगता है की हम वैसे ही पहले की तरह एक दूसरे के प्रति असहनशील हो जायेंगे। इस दुनिया को दुनियादारी की जरूरत तो है पर इंसानियत के बिना वह किसी काम की नही है।
लॉकडाउन के बाद की दुनिया में अगर हम अपने व्यवहार में  सुनना, देखना, परखना और अगर थोड़ा सा अच्छाई का एलिमेंट डालने की कोशिश करेंगे तो पोस्ट-लॉकडाउन के बाद की दुनिया में कोरोना से होने वाली हानि ना केवल इस पॉजिटिव चेंज के साथ ऑफ सेट हो जायेगी , बल्कि कुछ ना कुछ अतिरिक्त लाभ ही प्राप्त करेंगे। 
अगर हम वाकई में अपने स्वभाव में ये बदलाव ला पाएं और एक दूसरे के प्रति अपने व्यवहार को बदल पाएं , तो हम इस अच्छे बदलाव के लिए कोरोना को कह भी सकते हैं - थैंक यू वेरी मच।

Tuesday, July 6, 2021

Positive Attitude towards Life



 Having a positive attitude means being optimistic about situations, interactions, and yourself. People with positive attitudes remain hopeful and see the best even in difficult situations.

"Chat GPT vs. Traditional Content Writing: Pros and Cons for SEO"

“Chat GPT vs traditional Content Writing: Pros and Cons for SEO”   Chat GPT vs Traditional Content Writing : There are two different methods...